अभी हाल में ही फॉर्मर चीफ जुस्टिस मार्कण्डेय काटजू का एक ब्लॉग पढ़ा जिसमे उन्होंने कहा की उन्हें इस बात की कोई रिग्रेट नहीं है की उन्होंने बीफ खायी है और अगर उन्हें मौका मिलेगा तो वो फिर से खाएंगे.
इसी बात को लेकर कुछ दिनों पहले मेरा मेरे कुछ हिन्दू कट्टरपंथियों दोस्तो से बहस छिड़ गया क्यों की काटजू की माँ बेहेन करने के बजाये मेने उसके स्टेटमेंट का सपोर्ट कर दिया था . शायद गलती मेरी ही थी की मेने बीफ मीट खाने की इच्छा जताई थी और वो भी हिन्दुस्तान में रहकर और हिन्दू होकर. लेकिन सोचने वाली बात ये है की अगर मेरे दोस्त धर्म से मुस्लिम होते तो तब भी यही केहते ? पता नहीं . दुनिया के बहुत सारे देशों में बीफ मीट खाना कोई क्राइम नहीं है लेकिन इतने बड़े डेमोक्रेटिक कंट्री इंडिया में रहने के बाद भी अब ये बात करना,लगता है जैसे तालिबानियो के बीच फँस गया हूँ. हिन्दू धर्म और हिन्दू धारणा कहती है की गाय माता है लेकिन हम हिन्दू मुर्गे का गोश्त और बकरी का गोश्त बड़े चाव से खाते है ये बिना सोचे की वह भी किसी की माता है. मेरे दोस्त कहते हैं की अगर बीफ खाना है तो भाग जाओ इस देश से. भ्रष्टाचार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है , बात बात पे हुमलोग दुसरो की माँ बहन को याद कर लेते हैं , गरीब भूखे मर रहे है , देश की माँ बहनो पर अत्याचार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है और यहाँ गाय को माता बना दिया गया है,भगवान् का दर्जा दे दिया गया है. एक बात पूछना चाहूँगा की माँ दुर्गा भी माता है और उनकी सवारी है शेर. किसी गाय को आज के किसी शेर के पास ले जाओ...वो क्या करता है जरा बताना मुझे. लोजिकॉली वह शेर उस गाय की हड्डियों तक को चबा जायेगा....तो क्यों भगवान् ऐसे माँसाहारी जानवारों पे सवारी करती है जो गाय को माता नहीं समझते.शायद समझ में आ जाये आपको. लोगों को जज करना बंद करे....इंसान बने. हिन्दू मुस्लिम करते करते इंसान कहीं खो गया है. बीफ मीट बैन करके आप एक समुदाय के फ़ूड और हैबिट्स को ही बैन नहीं कर रहे है,बल्कि आप उनके सेंटीमेंट्स को भी बैन कर रहे है. अगर करना ही है तो सभी जानवरों पर हो रहे अत्याचार को बंद किया जाए वरना ये दोगलापन बंद करिये जनाब.
किसी जनाब ने क्या खूब कहा है-
भूख से बड़ा 'मजहब' और रोटी से बड़ा
'ईश्वर' हो तो बता देना,
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मुझे भी 'धर्म' बदलना है। #मुझेभी